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ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौः: ॐ ह्रीं श्रीं क ए ऐ ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं सौः: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं 

अष्टैश्वर्यप्रदामम्बामष्टदिक्पालसेविताम् ।

Goddess is commonly depicted as sitting within the petals of lotus which is retained about the horizontal body of Lord Shiva.

वन्दे तामहमक्षय्यां क्षकाराक्षररूपिणीम् ।

साशङ्कं साश्रुपातं सविनयकरुणं याचिता कामपत्न्या ।

ह्रीं‍मन्त्राराध्यदेवीं श्रुतिशतशिखरैर्मृग्यमाणां मृगाक्षीम् ।

यह शक्ति वास्तव में त्रिशक्ति स्वरूपा है। षोडशी त्रिपुर सुन्दरी साधना कितनी महान साधना है। इसके बारे में ‘वामकेश्वर तंत्र’ में लिखा है जो व्यक्ति यह साधना जिस मनोभाव से करता है, उसका वह मनोभाव पूर्ण होता है। काम की इच्छा रखने वाला व्यक्ति पूर्ण शक्ति प्राप्त करता है, धन की इच्छा रखने वाला पूर्ण धन प्राप्त करता है, विद्या की इच्छा रखने वाला विद्या प्राप्त करता है, यश की इच्छा रखने वाला यश प्राप्त करता है, पुत्र की इच्छा रखने वाला पुत्र प्राप्त करता है, कन्या श्रेष्ठ पति को प्राप्त करती है, इसकी साधना से मूर्ख भी ज्ञान प्राप्त करता है, हीन भी गति प्राप्त करता है।

सेव्यं गुप्त-तराभिरष्ट-कमले सङ्क्षोभकाख्ये सदा ।

हार्दं शोकातिरेकं शमयतु ललिताघीश्वरी पाशहस्ता ॥५॥

श्वेतपद्मासनारूढां शुद्धस्फटिकसन्निभाम् ।

Goddess Tripura Sundari is additionally depicted being a maiden sporting good scarlet habiliments, dim and very long hair flows and is totally adorned with jewels and garlands.

The reverence for Tripura Sundari transcends mere adoration, embodying the collective aspirations for spiritual progress as well as attainment of worldly pleasures and comforts.

श्रीमद्-सद्-गुरु-पूज्य-पाद-करुणा-संवेद्य-तत्त्वात्मकं

Her narratives are not just tales but have a get more info further philosophical which means, reflecting the Everlasting struggle among excellent and evil, as well as the triumph of righteousness. The significance of Tripura Sundari extends beyond the mythological tales, influencing various areas of cultural and spiritual life.

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